Tuesday, October 15, 2013

फेसबुक से चुराकर एडल्‍ट साइट्स पर अपलोड हो रही हैं टीनएजर्स की पर्सनल फोटो

This is article reposted from India today. Edited by Babita Pant.







जिन लोगों के घरों में स्‍कूल जाने वाले बच्‍चे हैं, वे इस खबर को जरूर पढ़ें. आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि इन दिनों टीनएज बच्‍चे सिलेबस और नोट्स के अलावा अपनी नेकेड तस्‍वीरें भी एक-दूसरे के साथ शेयर कर रहे हैं. और ये तस्‍वीरें एडल्‍ट वेबसाइट्स पर अपलोड हो रही हैं.



अकसर लड़कियां अपने क्‍लास में पढ़ने वाले लड़कों के कहने पर अपनी नग्‍न और कामुक तस्‍वीरें उन्‍हें मोबाइल पर भेजती हैं. इस ट्रेंड को 'सेक्‍सटिंग' नाम से जाना जाता है.

लेकिन लड़कियों को इस बात का पता नहीं होता कि उनकी ये तस्‍वीरें पूरे स्‍कूल में घूमती हुईं फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर पहुंच जाती हैं और यहां से इन्‍हें चुराकर पीडोफाइल वेबसाइट्स पर अपलोड कर दिया जाता है. आपको बता दें कि जो वयस्‍क बच्‍चों से सेक्‍शुअली आकर्षित हाते हैं उन्‍हें पीडोफाइल कहा जाता है और ऐसे लोगों के लिए इंटरनेट पर ढेर सारी पीडोफाइल वेबसाइट्स मौजूद हैं, जहां पर बच्‍चों की नग्‍न और कामुक तस्‍वीरें होती हैं.

पहले एक जांच से खुलासा हुआ था कि ब्रिटेन में 13 साल के बच्‍चे भी अकसर अपनी न्‍यूड फोटो एक-दूसरे के साथ शेयर करते हैं. और अब इंटरनेट वॉच फाउंडेशन ने अपनी जांच में पाया है कि ये तस्‍वीरें इंटरनेट पर अपलोड भी हो रही हैं.

फाउंडेशन की चीफ एग्‍जीक्‍यूटिव सूजी हारग्रीव्‍स बताती हैं कि बच्‍चों द्वारा खींची गईं खुद की फोटो ही पीडोफाइल वेबसाइट्स के लिए तस्‍वीरों का सबसे बड़ा स्रोत हैं. उन्‍होंने बताया, 'हमारी टीम ने लगातार 40 घंटे तक की गई एक सर्च के दौरान पाया कि 70 पीडोफाइल वेबसाइट्स में टीनएजर्स की 12, 224 सेल्फ जेनरेटेड नेकेड तस्‍वीरें हैं.'

हारग्रीव्‍स का कहना है कि हमें बच्‍चों को स्‍कूल में सेक्‍सटिंग के खतरों के बारे में बतना होगा, ताकि वे समझ सकें कि एक बार अगर उनकी कोई तस्‍वीर या वीडियो ऑनलाइन अपलोड हो गए तो उसकी हर एक कॉपी को रिमूव करना आसान नहीं होगा.

उन्‍होंने कहा, 'ये वही तस्‍वीरें है जो किसी टीनएज ने खुद से खींची होंगी और उन्‍हें अपने दोस्‍त के साथ शेयर किया होगा. इसके बाद फोटो स्‍कूल भर में घूमी, फिर सोशल नेटवर्किंग साइट पर अपलोड हुईं और यहां से किसी ने इन्‍हें चुराकर एडल्‍ट वेबसाइट पर अपलोड कर दिया.'

वैसे, ये रिसर्च ब्रिटेन में की गई है, लेकिन भारत के लिए भी यह खतरे की घंटी है क्‍योंकि यहां पर आज बच्‍चों के हाथ में मोबाइल हैं और उनके फेसबुक एकाउंट भी हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्‍चों से भी इस बारे में जरूर बात करें.




 

 

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