उनसे सीधी बात जिनके घर के बच्चे छठी से आठवीं तक पढ़ते हैं
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स्कूलों में लागू " RTE " पर एक बहस की जरुरत है. इसके कई सकारात्मक पहलु है .... कई ऐसे पहलू है जिसकी मुझे समझ नहीं है पर एक बहुत बड़ी चुनौती अगले २-३ वर्षों मे आने वाली है.
नयी पद्धति में विद्यार्थियों को ग्रेड मिलता है , मार्क्स नहीं मिलता है. और किसी को आठवीं कक्षा तक फैल नहीं किया जा सकता है
पहली समस्या अनुशासन की है। आप शिक्षकों से बात करेंगे तो पाएंगे बच्चों को स्कूल से कोई भय ही नहीं और न ही अपने पढाई को इम्प्रूव करने के लिए विशेष उत्सुकता। . इसका सीधा सम्बन्ध स्कूल के अनुशासन पर पड़ रहा है
दूसरा पहलू और भी भयावह है। अब जब बच्चों को नवमी कक्षा पहली बार fail का सामना करना पड़ता है तब वह उसको बहुत भरी पड़ता है. अनुभवगत जानकारी के आधार पर कह रहा हूँ अभिवावक लाचार हो रहे हैं, बच्चे इस स्थिति से निपटने में असक्षम पा रहे हैं और सुसाइड की धमकी दे रहे हैं.
मेरा छोटा सा सुझाव अभिवावकों से हैं उन्हें इस परिस्थिति के लिए
तैयार करें। संभव हो तो परीक्षा के प्रारूप से भी घर में या बाहर परिचित कराएं
For Psychological Counselling
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