जीवन में कई बार लगता है.… अब हमसे न होगा। ....... इतनी मुसीबत मुझे ही क्यों …आखिर मेरा कोई साथ क्यों नहीं देता। जब जब मन में ऐसे ख्याल आये एक बार पटना के अनुराग को जरूर याद कर लें
आज से १०-१२ वर्ष पूर्व १६-१८ वर्ष का एक बालक मुंगेर से पटना अपनी पढाई के लिए गया था। पढ़ाई सामान्य रूप से ठीक चल रही थी। मुझे किसी ने फ़ोन कर बताया आपके जानने वाले एक बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है और वह अर्ध चेतन अवस्था में भी आपका नाम ले रहा और आपसे एक बार मिलना चाहता है।
घटना की पड़ताल की तो पता की वो अनुराग है और तीन मंज़िले से गिर गया है। … २ साल तक हॉस्पिटल मे रहना पड़ा पर उसने हौसला नहीं छोड़ा। . इसमें पूरा योगदान उसके माता पिता एवं उसके मनोबल का रहा। उसने अपनी डिग्री की पढाई पूरी की और कम्पटीशन की तैयारी में लग गया। अभी भी लाचारी ऐसी की ट्यूशन जाना तो दूर नित्य कर्म के लिए भी सहारे की जरुरत पड़ती है
कल रात अनुराग का फ़ोन आया और जब उसने बताया की ग्रामीण बैंक के पी ओ के लिए उसका फाइनल सिलेक्शन हो गया है तो वाकई लगा
हिम्मते मर्दा मर्दे खुद
अनुराग को एवं उसके परिवार को इस सफलता के लिए बधाई एवं उन सभी लोगों को एक सहज रिमाइंडर
" हारिये न हिम्मत बिसारिये न हरी :
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