एग्जाम स्ट्रेस :
क्या है :
परीक्षा के समय विद्यार्थियों में तनाव होना एक स्वाभाविक अवस्था है पर तनाव के कारण पढाई बाधित हो, या परीक्षा में परफॉरमेंस बाधित हो या उसकी चिंता से जीवन पर असर हो एग्जाम स्ट्रेस की श्रेणी में आता है
स्ट्रेस प्रेशर का इंडिविजुअल रिस्पांस होता है. एक ही परिस्थिति में हर
विद्यार्थी की अलग प्रतिक्रिया होती है और एक ही विद्यार्थी अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग प्रतिक्रिया होती है.
एग्जाम स्ट्रेस की दो केटेगरी है :
एग्जाम Eustress और एग्जाम Distress : Eustress रहने से विद्यार्थी का पर्फोर्मंस अच्छा होता है और डिस्ट्रेस होने पर खराब होने की सम्भावना रहती है और अन्य लक्षण आने की भी गुंजाईश रहती है
एग्जाम स्ट्रेस की तीन अवस्था है
प्री एग्जाम स्ट्रेस , इन एग्जाम स्ट्रेस और पोस्ट एग्जाम स्ट्रेस
प्री एग्जाम स्ट्रेस:
परीक्षा के पहले विद्यार्थी जो तनाव का अनुभव करते हैं उसे प्री एग्जाम स्ट्रेस कहते हैं
इन एग्जाम स्ट्रेस
परीक्षा के दौरान जो स्ट्रेस होता है उसे इन एग्जाम स्ट्रेस कहते हैं. इसके कारण जानी हुई बातों को भी विद्यार्थी लिख नहीं पाते हैं
पोस्ट एग्जाम स्ट्रेस
परीक्षा देने के बाद उत्पन्न स्ट्रेस को पोस्ट एग्जाम स्ट्रेस कहता हैं। यह अत्यंत संवेदनशील अवस्था है और अत्यंत सावधानी से माता पिता को काम लेना चाहिए
क्यों होता है :
१. अपर्याप्त तैयारी
२. तैयारी से अधिक उम्मीद
३. माता पिता, मित्रों एवं परिजनों की अपेक्षा पर न उतरने का अनुमान
४. सही रिवीजन पद्धति का ज्ञान न होना
५. सेल्फ असेसमेंट का अाभाव
६. सफलता का तुलनात्मक मापदंड
७. सही समय पर स्कूल, कोचिंग में सिलेबस का खत्म न होना
८. सही दिनचर्या का आभाव
९. ऐसे मित्रों की संगति जो अपने पढ़ लेते हैं या पढ़ना ही नहीं चाहते हैंऔर दूसरे के रूटीन को अपने सुविधा से बदलना
१०. माता- पिता से संवादहीनता
एग्जाम स्ट्रेस के सामान्य लक्षण
१. एकाग्रता का आभाव
२. मूड swing
३. भूख कम लगना या थोड़े थोड़े देर में खाने की इक्छा
४. नींद सामान्य से कम या ज्यादा आना
५. अपने आप को कोसना
६. Confusion
७. दोस्तों से बातचीत में कमी या सिर्फ उसी में रमने में आनंद
८. माता-पिता के बातों पर अनावस्यक रिएक्शन
९. फेसबुक/व्हाट्सऐप का देर रात तक उपयोग और दोस्तों में प्रसन्नता के तलाश ( वैसे ये सामान्य समय में भी बच्चे ऐसा करते हैं )
१०.
एग्जाम स्ट्रेस के विशेष लक्षण
१. हार्ट बीट बढ़ना
२. डिप्रेशन
३. Sweating
४. Chest Pain , nausea, trembling
५. need फॉर मेडिसिन
५. Aggression
विद्यार्थियों के लिए समाधान
१. स्व मूल्याङ्कन कर व्यवहारिक लक्ष्य बनायें
२. ऐसे किसी भी व्यक्ति या दोस्त से सम्बन्ध न रखें जो आपके स्वाभिमान को चोट पहुंचाता हो या नकारात्मकता का संचार करता हो
३. ये परीक्षा आपके जीवन का आखिरी विकल्प नहीं है इस बात का ध्यान रखें
४. विषय समझ न पाने की स्थिति में अपने स्कूल या कोचिंग के शिक्षक से तुरंत संपर्क करें
५. revision की स्ट्रेटेजी समय समय पर बदलनी पड़ती है इससे घबराने की जरुरत नहीं है सिर्फ सही दिशा में आपकी सोच है इसकी पुष्टि अपने शिक्षक से करें
६. हर विषय में एक जैसे तैयारी नहीं रहती है इसलिए हर परीक्षा से परिणाम का सामान उम्मीद नहीं रखना चाहिए
७ . लगातार पढ़ें और ब्रेक लें
८ . परीक्षा की आखिरी रात देर तक न पढ़ें। दो दिन पहले को आखिरी दिन मानकर तैयारी करें और अंतिम दिन समय से सो जाएं
९. . भोजन अपने हिसाब से करें पर अनियमित समय पर न करें
१०. माता पिता को अपनी तैयारी की वास्तविक स्थिति जरूर बताएं
इन एग्जाम स्ट्रेस का समाधान
१. परीक्षा भवन में समय से पहले पहुंचे
२. प्रश्न पत्र ध्यान से पढ़ें। इस सम्भावना पर भी गौर करें की सैंपल पेपर या प्रीवियस ईयर पेपर से कुछ प्रश्न या मार्किंग पैटर्न भिन्न सकते हैं
३. घबराहट होने की स्थिति में डीप ब्रीथिंग करें
४. जिन प्रश्नों का हल नहीं मिल रहा है उसे टिक मार्क करें और आगे बढ़ें
५. बोर्ड परीक्षा में अगर एक पेपर खराब जा रहा है तब भी ये विश्वास रखें बाकी पेपर फिर भी अच्छे जा सकते हैं। आगे की चिंता में समय नष्ट न करें
६. कॉम्पिटिटिव एग्जाम का कट ऑफ लगभग पिछले वर्ष जैसा रहता है और अगर पेपर टफ होगा तो वो सबके लिए होगा। कट ऑफ ज्यादा होगा तो सबके लिए होगा
७. मेमोरी unconsious में store रहती है। रिलैक्स रहने पर recall आसानी से होता है
.
पोस्ट एग्जाम स्ट्रेस
Always remember "even if everything fails future still remains "
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